यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे घमासान के बीच एक तरफ़ जहां यूक्रेन को दुनिया भर का तथाकथित समर्थन मिल रहा तो वहीं दूसरी तरफ़ रूस के कदमों को लेकर कई सारे देश राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 'युद्ध अपराधी' घोषित करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि यूक्रेन रूस के हमले के पहले दिन से ही पुतिन को अपराधी घोषित करने की मांग कर रहा है। यूक्रेनी प्रधानमंत्री 'अर्सेनी यात्सेन्युक' (Arseiny Yatsenyuk) ने बीते 3 मार्च को कहा, 'मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि पुतिन एक युद्ध अपराधी है और उन्हें ICC (International Criminal Court) में सलाखों के पीछे जाना होगा।' यूक्रेन में यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट पर हमले के बाद कीव में अमेरिकी दूतावास ने कहा कि न्यूक्लियर प्लांट को तबाह करके राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध अपराध किया है।
क्या है अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court)?
नीदरलैंड्स के 'द हेग' में स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय एक स्थायी आपराधिक न्यायालय है जिसका आधार 1998 का 'रोम संधि' है। सन् 2002 में अस्तित्व में आई यह संस्था मुख्य रूप से चार अपराधों पर कारवाई करती है- नरसंहार, मानवाता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध तथा आक्रामक अपराध। इसमें कुल 123 सदस्य देश हैं। रूस (रूस पहले सदस्य था, 2016 में खुद को इससे अलग कर लिया) और यूक्रेन ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए, परंतु उन्होंने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, इसलिए वो इसके सदस्य नहीं हैं।
क्या पुतिन को घोषित किया जा सकता है युद्ध अपराधी?
ICC ने अनाउंस किया है कि यह पुतिन को युद्ध अपराधी घोषित करने के लिए जांच पड़ताल शुरू करेगी। प्रोसिक्यूटर करीम खान के अनुसार, 'व्लादिमीर के खिलाफ यह जांच शुरू करने के "उचित आधार" हैं और सबूतों को इकट्ठा किया जा रहा है'। देखा जाए तो रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ यह प्रक्रिया शुरू करने के पहले ICC को विभिन्न क़ानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श करना होगा। उन्हें यह निश्चित करना होगा कि क्या पुतिन ने 'रोम संधि' का उल्लंघन किया है? अदालत को संभावित युद्ध अपराधों के श्रेणी की पहचान करनी होगी।
मालूम हो कि रूस ने यूक्रेन में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी क्लस्टर बम एवं अन्य भारी विस्फोटकों का प्रयोग किया है, जो पुतिन के खिलाफ करीम खान के पक्ष को मजबूत करता है। हालांकि, क़रीम ने वर्ष 2014 से ही क्रीमिया पर कब्जे को लेकर रूस के खिलाफ अपनी जांच शुरू की है, लेकिन अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। आपराधिक न्यायालय का रिकॉर्ड देखा जाए तो अधिकतर मामलों में न्याय मिलने में या तो विलंब हुआ है या न्याय मिला ही नहीं है। दूसरी तरफ़, इस संस्था के सदस्य देश ही कोर्ट के साथ सहयोग करने में कन्नी काटते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि रूस और यूक्रेन के साथ अमेरिका भी इसका आधिकारिक सदस्य नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने सन् 2000 में संबंधित संधि पर हस्ताक्षर किया था, परंतु अमेरिकी सीनेट से इस संधि को मंजूरी नहीं मिली थी। इसलिए यह कहना ग़लत होगा कि अंतराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय राष्ट्रपति पुतिन को दोषी साबित करके सजा सुना देगा। क्योंकि जो देश (अमेरिका-यूक्रेन) इस मुद्दे पर आइसीसी में मजबूती से पैरवी कर सकते हैं, वो ही इसके सदस्य नहीं हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू करने को लेकर ICC पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।
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