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यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत से सीएम योगी ने तोड़े मिथक, बने कई रिकॉर्ड


उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से प्रचंड जनादेश हासिल किया है। प्रदेश की जनता ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विश्वास जताया है। इस चुनाव में सबसे मुख्य बात यह थी कि जनता के बीच कानून व्यवस्था को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया थी। लोग आदित्यनाथ के शासनकाल में कानून व्यवस्था की बहुत तारीफ कर रहे थे। इस चुनाव के बाद पार्टी संगठन में सीएम योगी का कद भी बढ़ने वाला है, क्योंकि देखा जाए तो पूरा चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ा गया था। बदमाशों, माफियाओं के खिलाफ सरकार की 'बुल्डोजर नीति' लोगों को बखूबी पसंद आई।

टूटे मिथक एवं बने कई रिकॉर्ड

कहा जाता था कि पिछले 37 वर्षों में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते जो भी व्यक्ति नोएडा गया है, वो दुबारा मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं जीत पाया है। सीएम योगी ने प्रचंड जीत हासिल कर इस मिथक को तोड़ा है। सूबे में अभी तक बीजेपी का कोई भी नेता 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था, लेकिन आदित्यनाथ ने पूरा किया। आज़ादी के बाद से अभी तक किसी भी मुख्यमंत्री ने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की, योगी ने वो भी कर दिखाया है।


आदित्यनाथ ने बना ली है एक अलग पहचान

यह चुनाव जीतते ही आने वाले वर्ष 2024 के आम चुनाव में आदित्यनाथ की भूमिका भी अहम हो गई है। बीजेपी के दक्षिण तक फैले संगठन में भी योगी को लोग पसंद करते हैं। 2017 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पार्टी ने उन्हें गुजरात, कर्नाटक और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी वहां विधानसभा के चुनाव प्रचार के लिए भेजा। वहीं यूपी की जनता के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य को देखकर भी दूसरे राज्यों के लोग तारीफ़ करते नहीं थकते।


1993 में संन्यास को अपनाने वाले योगी आदित्यनाथ जब पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते तो उनकी उम्र 26 वर्ष थी और लगातार पांच बार लोकसभा में उन्होंने गोरखपुर की जनता का प्रतिनिधित्व किया। पूर्वांचल की जनता के बीच पहले से लोकप्रिय गोरक्षपीठ के मुखिया योगी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही जिस तरह से कामकाज संभाला, वाकई तारीफ़ के काबिल था। जनता के बीच सुरक्षा को लेकर बदमाशों का जो भय था, पुलिस को खुली छूट देकर सबसे पहले उसे समाप्त किया। एक के बाद एक ताबड़तोड़ एनकाउंटर हुए, जिससे डर सहमे बदमाशों ने स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करना और जेल में रहना ही मुनासिब समझा। अपने इस बिंदास और बेबाक अंदाज़ को लेकर वह दूसरे राज्यों की जनता के बीच भी अपना रुतबा स्थापित करने में कामयाब हुए। देखा जाए तो कहीं न कहीं आदित्यनाथ ने इन पांच वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

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