11 अगस्त को आमिर खान की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' रिलीज होने वाली है और आमिर के पुराने बयानों के कारण उनकी लिए अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। लोगों ने इस फिल्म का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है, जिससे आमिर, फिल्म की एक्ट्रेस करीना और इंडस्ट्री के कुछ कलाकार भी परेशान हो गए हैं। हालांकि, फिल्म हिट होगी या फ्लॉप, ये तो वक्त बताएगा।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आमिर खान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बड़े आलोचक रहे हैं यहां तक कि उन्होंने गुजरात दंगों के लिए भी मोदी को ही जिम्मेदार ठहराया था। 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद भले व्यक्तिगत तौर पर उनके लिए आमिर के सुर बदल गए हों और उन्होंने 'स्वच्छ भारत अभियान' के साथ साथ मोदी सरकार की कुछ नीतियों की तारीफ करते हुए खुला पत्र लिखा हो। लेकिन इसके पहले आमिर ने बहुत बार नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना की है। सिर्फ इतना ही नहीं, 2005 में उन्होंने अमेरिका द्वारा तत्कालीन गुजरात सीएम पर वीजा पाबंदी के फैसले पर मोदी के समर्थन में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की निंदा और अमेरिकी सरकार के फैसले को सही बताने वाले पत्र पर भी हस्ताक्षर किया था।
क्या कहा था तत्कालीन पीएम डॉ मनमोहन सिंह ने?
मालूम हो कि 2002 के दंगे के बाद से तत्कालीन गुजरात सीएम के खिलाफ पूरे देश ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी माहौल बनाया गया था। 2005 में भारत की राजनीतिक पार्टियों के सहयोग से अमेरिका में रह रहे उनके अप्रवासी भारतीय समर्थकों ने यूएस सरकार पर मोदी के खिलाफ वीजा पाबंदी का दबाव बनाया था, जिस पर वहां की सरकार ने अमल भी किया था। अमेरिका की बुश सरकार के इस फैसले पर भारत के तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 19 मार्च, 2005 को राज्यसभा में बयान दिया था कि संवैधानिक रूप से निर्वाचित एक मुख्यमंत्री को वीजा देने से इंकार करने का अमेरिकी सरकार का फैसला चिंतित करने वाला है। तब विदेश मंत्री ने अमेरिकी मिशन के उप प्रमुख रॉबर्ट ब्लेक को तलब कर बुश प्रशासन के फैसले की निंदा भी की थी।
क्या लिखा था पत्र में
डॉ. सिंह के इस बयान और यूपीए सरकार के इस रूख ने मोदी विरोध की आग में जल रहे लोगों के घाव पर नमक रगड़ने का काम किया और खेल, सिनेमा, शिक्षा, कला आदि जगत की जानी मानी हस्तियों ने एक पत्र जारी करते हुए पीएम के बयान की आलोचना की और गुजरात सीएम को "महिलाओं के बलात्कार, निर्दोषों की हत्या और नफ़रत बढ़ाने के लिए कुख्यात अपराधी" बताया।
पत्र में कहा गया, "मोदी की नफरत की नीतियों को किसी भी संस्था द्वारा वैध नहीं किया जाना चाहिए। मोदी कोई साधारण निर्वाचित नेता नहीं हैं। भारत के स्वतंत्र होने के बाद से, अपने राज्य के नागरिकों के एक वर्ग से, सबसे क्रूर नरसंहार में सक्रिय रूप से उकसाने के लिए वह कुख्यात हो गए हैं। पिछले 3 वर्षों में उनकी बदनामी और गहरी हो गई है, क्योंकि उन्हें सैकड़ों निर्दोष महिलाओं और बच्चों के सामूहिक कत्लेआम और बलात्कार सहित इन अपराधों के लिए पूरी तरह से पछतावा नहीं है, और इसके बजाय खुले तौर पर नफरत के मंच से चुनाव लड़ा है।" पत्र में आगे कहा गया कि 'हम अमेरिका और भारत में अनिवासी भारतीयों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों की सराहना करते हैं, जिन्होंने जनता की राय जुटाई और अमेरिकी प्रशासन पर दबाव डाला जिसके कारण मोदी को वीजा से इनकार कर दिया गया।'
इस पत्र को विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 204 प्रसिद्ध लोगों ने हस्ताक्षरित किया था, जिसमें सबसे पहला नाम अभिनेता 'आमिर खान' का था। इसमें दिलीप कुमार, कोलिन गोंजाल्विस और ज़फरुल इस्लाम आदि शामिल थे। उस समय आमिर गुजरात सरकार के कड़े आलोचक या यूं कहें कि बड़े विरोधी थे। उन्होंने मेधा पाटेकर के साथ मिलकर गुजरात सरकार की नर्मदा बांध परियोजना का विरोध करते हुए सीएम पर उन्हें नुकसान पहुंचाने कि आरोप लगाया था, जबकि उनके खिलाफ एक भी केस दर्ज नहीं हुआ। आमिर के इन सरकार विरोधी कदमों के कारण उनकी फिल्म 'फना' का काफी विरोध हुआ और कुछ समय के लिए अनाधिकारिक प्रतिबंध भी लगा था, जिस पर उनका दर्द खुलकर सामने आया था और तब उन्होंने ख़ुद को देशभक्त भारतीय बताया था।
Nice info
ReplyDelete